ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
<p class="para">योगेश्वर गोरखनाथ ने भगवती राप्ती के तटवर्ती गोरखपुर नगर (जो उन्हीं की पुण्यस्मृति में उन्हीं के नाम विख्यात है) में त्रेतायुग की तपस्या की थी। उनकी तपःस्थली के निकट मानसरोवर स्थान आज भी उनकी साधना का स्मारक है। वे ज्वाला देवी के स्थान से खिचड़ी की भिक्षा माँगते हुए गोरखपुर पधारे थे। महाराज मानसिंह ने अपनी ‘श्रीनाथतीर्थावली’ पुस्तक में गोरखपुर का उल्लेख करते हुए कहा है कि गोरखपुर नामका उत्तम स्थान है उसके उत्तर (भाग) में पुण्यप्रद गोरक्षनाथ जी का स्थान है, श्रीरामजी के त्रेतायुग में अवतार में इस स्थान का वर्णन उपलब्ध होता है। इस स्थान में एक कोस (तीन किलोमीटर) पर इरावती (राप्ती) नदी बहती है, यहाँ श्री गोरखनाथ जी की काष्ठपादुका विद्यमान है। इस तीर्थवरेण्य को बार-बार नमस्कार है।</p>
<p class="para">गोरखनाथ-मंदिर, गोरखपुर का वर्णन मध्यकालीन प्रेमाख्यानकार कवि उस्मान ने चित्रावली में भी किया है जिससे पता चलता है कि मन्दिर के वातावरण में अनवरत योग-साधना का क्रम चलता रहा है। गोरखपुर में</p>
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June 20, 2025 11:15 pm local time
पता
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मंदिर / गुरुद्वारा स्थलRajendra Nagar Gorakhpur
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जिलाGorakhpur
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पिन कोड273015
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फोन नंबर0551-2255453
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ईमेलyourcontact@gmail.com
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वेबसाइटhttps://yourcontact.com
प्रकाशित
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प्रकाशन की तिथिApril 29, 2025
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