रक्षाबंधन एक पवित्र हिंदू त्योहार है, जो भाई-बहन के स्नेह, प्रेम और रक्षा के बंधन का प्रतीक है। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि की कामना करती है, जबकि भाई जीवनभर उसकी रक्षा करने का वचन देता है।
रक्षाबंधन का महत्व:
इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं।
भाई बहनों को जीवनभर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
बहनें भाइयों की लंबी उम्र और सफलता की प्रार्थना करती हैं।
भाई बहनों को उपहार देते हैं।
रक्षाबंधन की परंपराएँ:
पूजा की थाली सजाई जाती है जिसमें राखी, अक्षत (चावल), दीपक, मिठाई और रोली होती है।
बहन भाई की आरती उतारती है और तिलक लगाती है।
फिर वह राखी बांधती है और मिठाई खिलाती है।
भाई उसे उपहार देता है और उसकी सुरक्षा का वचन देता है।
यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।
धार्मिक मान्यताएँ:
भगवान कृष्ण और द्रौपदी की कथा:
भगवान कृष्ण और द्रौपदी की कथा:
जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था, तब उनके हाथ में चोट लग गई थी। द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया। कृष्ण ने इस रिश्ते की लाज रखने का वचन दिया और चीरहरण के समय उन्होंने द्रौपदी की रक्षा की।
इंद्राणी और इंद्र की कथा:
देवताओं और असुरों के युद्ध के समय, इंद्राणी (इंद्र की पत्नी) ने एक रक्षासूत्र तैयार कर इंद्र को बांधा जिससे वे युद्ध में विजयी हुए। यह रक्षासूत्र "रक्षा का प्रतीक" बना।
यम और यमुनाजी की कथा:
यमराज को यमुनाजी ने राखी बाँधी थी और यमराज ने वचन दिया कि जो भी बहन अपने भाई को प्रेमपूर्वक राखी बांधेगी, उसका भाई दीर्घायु रहेगा।
सामाजिक और सांस्कृतिक मान्यता
रक्षाबंधन पर बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं और उनकी लंबी उम्र, सुरक्षा और सफलता की कामना करती हैं।
भाई बहनों को उपहार देकर जीवनभर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
आज के समय में यह पर्व केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं रहा, इसे सैनिकों, गुरुओं, नेताओं आदि को राखी बांधकर भी मनाया जाता है — जिससे एकता और भाईचारे की भावना बढ़ती है।