मुंशी प्रेमचंद एक प्रसिद्ध हिंदी लेखक थे, जिनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले के लमही गाँव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था. उनकी शिक्षा वाराणसी में हुई, और वे एक शिक्षक और सरकारी नौकरी में भी रहे. 1921 में, उन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लेने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से साहित्य सृजन में लग गए
जन्म और परिवार:
प्रेमचंद का जन्म एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता अजायब राय थे, जो डाकमुंशी थे. उनकी माता का नाम आनन्दी देवी था.
शिक्षा और नौकरी
प्रेमचंद ने वाराणसी में अपनी शिक्षा पूरी की। वे कुछ समय के लिए शिक्षक और सरकारी नौकरी में भी रहे.
साहित्यिक करियर:
साहित्यिक करियर:
प्रेमचंद ने अपना साहित्यिक करियर एक उपन्यासकार और आलोचक के रूप में शुरू किया था। उनका पहला उपन्यास 1901 में और दूसरा 1904 में प्रकाशित हुआ था.
साहित्यिक योगदान:
उन्होंने कई उपन्यास, कहानियाँ, और निबंध लिखे. उनकी रचनाएँ हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं. उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, गोदान, कफन, पूस की रात शामिल हैं.
आंदोलन में भागीदारी:
प्रेमचंद ने असहयोग आंदोलन में भी भाग लिया और सरकारी नौकरी छोड़ दी, जिससे उन्हें साहित्य सृजन के लिए अधिक समय मिल गया.
मृत्यु
प्रेमचंद का निधन 18 अक्टूबर 1936 को हुआ था.
विविध
बाल साहित्य : रामकथा, कुत्ते की कहानी, दुर्गादास
विचार : प्रेमचंद : विविध प्रसंग, प्रेमचंद के विचार
विशेषताएँ
बी.बी.सी. हिंदी में प्रकाशित विनोद वर्मा के साथ हुए साक्षात्कार रचना दृष्टि की प्रासंगिकता-मन्नू भंडारी में मन्नू भंडारी प्रेमचंद के विषय में बताती हैं कि-"साहित्य के प्रति और साहित्य के हर दृष्टि के प्रति यानी चाहे राजनीतिक, सामाजिक, पारिवारिक सभी को उन्होंने जिस तरह अपनी रचनाओं में समेटा और खासकरके एक आम आदमी को, एक किसान को, एक आम दलित वर्ग के लोगों को वह अपने आप में एक उदाहरण था. साहित्य में दलित विमर्श की शुरुआत शायद प्रेमचंद की रचनाओं से हुई थी.