सवाना

जी हाँ, सावन (श्रावण मास) में कई जगहों पर धान (चावल का पौधा) बोया या लगाया जाता है। खासकर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में, सावन का महीना खेती-बाड़ी के लिहाज़ से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। नीचे इसका विस्तृत कारण दिया गया है:

धान की रोपाई की प्रक्रिया

बीज तैयार करने की प्रक्रिया (धान के लिए)

1 .अच्छे बीजों का चयन (बीज छनाई)

सबसे पहले अच्छे किस्म के बीज लिए जाते हैं। एक बाल्टी या ड्रम में पानी भरते हैं और बीज उसमें डालते हैं। तैरते हुए बीज निकाले जाते हैं – ये खोखले, खराब या कमजोर होते हैं। नीचे बैठने वाले बीज चुने जाते हैं – ये भारी, स्वस्थ और अंकुरण के लिए उपयुक्त होते हैं।

2 .बीजों को पानी में भिगोना (Soaking)

चुने गए बीजों को 24 घंटे तक पानी में भिगोया जाता है। यह प्रक्रिया बीज के अंदर नमी पहुंचाने के लिए की जाती है ताकि अंकुरण शुरू हो सके।

3. बीजों को अंकुरण के लिए रखना

पानी से निकालकर बीजों को किसी गीले बोरे या कपड़े में लपेटकर 1-2 दिन के लिए रख दिया जाता है। इस दौरान बीजों से छोटे सफेद अंकुर (roots) निकलने लगते हैं। जब बीजों से अंकुर निकल आएँ, तब वे नर्सरी में बोने के लिए तैयार माने जाते हैं।

प्रमुख रचनाएँ: गबन गोदान निर्मला कफन (कहानी) ईदगाह (कहानी)

प्रमुख रचनाएँ:कई किसान बीज बोने से पहले उनका फफूंदनाशक (fungicide) या जैविक घोल से उपचार भी करते हैं। इससे बीजों को बीमारियों से बचाया जा सकता है। जैविक तरीका: 10 लीटर पानी में नीम का रस, गोमूत्र या ट्राइकोडर्मा मिलाकर बीज डुबो सकते हैं।

फायदे – बीज तैयार करने के:

जल्दी और एक समान अंकुरण होता है। पौधे स्वस्थ और मजबूत बनते हैं। नर्सरी में बीमारियों का खतरा कम होता है। उपज ज़्यादा मिलती है।

याद रखें:

बीजों को साफ और ताजा पानी में ही भिगोएँ। तापमान न ज़्यादा ठंडा हो और न बहुत गर्म। अंकुरण के लिए साफ और नमी वाली जगह चुनें।

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