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      भगवान शिव के 19 रूद्र अवतारों की कथा

      1. कपाली
      यह अवतार उन्होंने ब्रह्मा जी के पांचवें सिर को काटने के लिए लिया था। यह रूप अत्यंत उग्र था।
      संदेश: अहंकार का विनाश।

      2. भैरो (भैरव)
      भैरव अवतार से शिव ने पापों और अत्याचारों का नाश किया।
      संदेश: धर्म की रक्षा।

      3. विरूपाक्ष
      इस रूप में भगवान त्रिनेत्रधारी रूप में प्रकट हुए और उन्होंने त्रिकालदर्शी ज्ञान दिया।
      संदेश: ज्ञान और चेतना का विस्तार।

      4. कृष्णपिंगल
      यह रूद्र रूप अति शक्तिशाली और तेजस्वी है, जिसने असुरों का नाश किया।
      संदेश: शक्ति और नियंत्रण।

      5. सद्योजात
      यह रूप पश्चिम दिशा का रक्षक है। यह शिव का शुद्ध और सृजनात्मक रूप है।
      संदेश: नवसृजन और सत्व का प्रतीक।

      6. वामदेव
      यह शिव का सौम्य और करुणामय रूप है, जो उत्तर दिशा में पूजित है।
      संदेश: दया और प्रेम।

      7. अघोर
      अघोर अवतार शिव का विकराल और उग्र रूप है।
      संदेश: मृत्यु से मुक्ति।

      8. ईशान
      ईशान शिव का ब्रह्मा स्वरूप है, जो ज्ञान और अध्यात्म का प्रतीक है।
      संदेश: ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति।

      9. चंडीश
      यह रूप देवी चंडी के रक्षक के रूप में जाना जाता है।
      संदेश: स्त्री शक्ति का संरक्षण।

      10. श्रीकंठ
      जब शिव ने समुद्र मंथन का हलाहल पिया, तब उनका यह रूप प्रकट हुआ।
      संदेश: त्याग और बलिदान।

      11. नीलकंठ
      हलाहल विष को कंठ में रोकने के कारण यह रूप प्रसिद्ध हुआ।
      संदेश: समर्पण और धैर्य।

      12. भीषण
      यह उग्र और विनाशकारी रूप अधर्मियों का अंत करता है।
      संदेश: अत्याचार का अंत।

      13. विलोहित
      इस रूप में शिव ने देवताओं को अति विनम्रता और भक्ति का पाठ पढ़ाया।
      संदेश: अहंकार शून्यता।

      14. सिद्धार्थ
      यह रूप सभी सिद्धियों का स्वामी है।
      संदेश: साधना और सफलता।

      15. पिप्पलाद
      इस रूप में शिव ऋषि पिप्पलाद बने और उन्होंने ब्रह्मविद्या सिखाई।
      संदेश: तपस्या और ज्ञान।

      16. अश्वत्थामा
      यह अवतार शिव ने महाभारत में युद्ध के समय लिया था।
      संदेश: शौर्य और अमरता।

      17. हनुमान
      शिव ने राम भक्ति के लिए हनुमान के रूप में अवतार लिया।
      संदेश: सेवा, बल, भक्ति का आदर्श।

      18. श्रिकंठ/यतीश्वर
      यह रूप संयम और योग का प्रतीक है।
      संदेश: वैराग्य और आत्म-नियंत्रण।

      19. अवतारी शिव (महाकाल)
      यह अंतिम रूप काल के भी काल — "महाकाल" के रूप में पूजित होता है।
      संदेश: समय का नियंत्रण केवल शिव के हाथ में है।