शंभू सत्य का दीपक तू ही तो हो, माया से हो न्यारे शून्य से सृजन किया जग को त्रिलोकों के दुलारे तांडव हो या ध्यान समाधि हर रूप में सच्चे जिसने भी तुझको अपना माना उसके भाग्य हैं सच्चे पाऊं जो तेरी शरण तो छूटे योनि लाख चौरासी जय जय कैलाशी, जय जय अविनाशी जय जय त्रिपुरारी जय जय कैलाशी काल भी तुझसे डरता है बाबा तेरा रूप है ज्वाला उठे त्रिशूल जब तू रुष्ट हो कांपे रचयिता वाला तेरे बिना ना गति है कोई ना कोई आशय दूजा तू ही गीता तू ही वेदों में छिपा ज्ञान का पूंज है मन के अंतर में जब देखूं बस तू ही तू नजर आए तेरे नाम से जीवन मेरा हर क्षण शिव मय हो जाए भक्ति के पथ का तू ही है दीपक तू ही ज्योति अविनाशी जय जय कैलाशी, जय जय अविनाशी जय जय त्रिपुरारी जय जय कैलाशी जब भी संकट घेरे मुझको तू ही बने सहारा तेरी कृपा से ही चलता है जीवन का ये धारा दुष्टों का संहार करे तू सच्चों के रखवाले तेरे चरणों में है सुख और शक्ति निराली मन के अंतर में जब देखूं बस तू ही तू नजर आए तेरे नाम से जीवन मेरा हर क्षण शिव मय हो जाए तेरी प्रेम में डूबी रहूं मैं बन जाऊँ अभिलाषी जय जय कैलाशी, जय जय अविनाशी जय जय त्रिपुरारी जय जय कैलाशी