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    वर्णन
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      हम सावन मास की कथा सुनाते हैं,
      जहाँ गंगा की बूँदें, भोलेनाथ को गले लगाते हैं।

      सावन सोमवार का व्रत जब आरंभ हुआ,
      शिवलिंग पर शुद्ध जल से श्रृंगार हुआ।
      हर एक बेलपत्र छाया जैसे नभ में चाँद हुआ,
      भक्तों का हृदय आज शिव निकट हुआ।

      हाथ में धागा, मस्तक पर चंदन,
      गले में रुद्राक्ष, मन में सुगम बंधन।
      फूल-फलों की माला-सी तैयारी,
      सावन की हर बूँद में भक्त की तारीफ भारी।

      अब तो सुन लो भक्तों, सावन की कहानी,
      सावन माह में शिव हैं अपनी सर्वोच्च रवानी।
      हर सोमवार हो, हर मंगलवार भी आए,
      भोलेनाथ की अनंत महिमा अपने जीवन में समाए।