(मुखड़ा)
शोभे सावन में देवघर, बोल बम बम लागे,
कांवर उठाके चले भोले के भागे।
लाल झंडा लहराए, मन में शिव का नाम,
हर हर महादेव से, गूंजे सारा धाम।
(बम लहरी)
बम बम बोले बम बम…
बम बम बोले बम बम…
कांवरियों की टोली निकली, बम लहरी संग राम!
(अंतरा 1)
कंधे पे कांवर, सिर पर गंगाजल,
भोले के दर पे, चढ़े भक्ति का पल।
नाचे गाए सब मिलके, ढोल मंजीरा बजे,
भक्तों के स्वर में भोले, खुद त्रिशूल सजे।
(बम लहरी)
बम बम बोले बम बम…
देवघर की धरती बोले – जय शिव शंकर बम बम!
(अंतरा 2)
पांव में छाले, फिर भी रुके ना,
श्रद्धा के सागर में, बह जाए अपना।
भक्त कहे – बाबा, बस तू ही सहारा,
तेरे नाम बिना ना जमे कोई नज़ारा।
(बम लहरी)
बम बम बोले बम बम…
सावन में कांवरिया बोले – हर हर बम बम!
(अंतरा 3)
भांग धतूरा चढ़ाए, डमरू जब बजे,
गौरा संग भोले, भक्तों को तके।
देवघर की गलियों में, जब नारा ये गूंजे,
"बोल बम! बोल बम!" – ये मन ही झूमे।
(अंतिम बम लहरी)
बम बम बोले बम बम…
शोभे सावन में देवघर – जय जय बम बम!